व्यक्तित्व का विकास (Personality Devlopment)

 

जय हिंद दोस्तों
         LIFE MANAGEMENT PROGRAMME  के तहत आज हम एक ऐसे विषय के बारे में चर्चा करेंगे जिस पर आपका पूरा जीवन आधारित है और वह है आपका व्यक्तित्व यानी कि आपकी सोच आपके विचार, आपके बोलने तरीका, आपके उठने-बैठने का ढंग इत्यादि।



          यह काफी महत्वपूर्ण विषय इसीलिए बन जाता है क्योंकि यदि आप कहीं एक छोटी से छोटी या बड़ी से बड़ी जॉब के लिए भी जाते हैं तो पहले आपका इंटरव्यू लिया जाता है जिसका उद्देश्य होता है आपकी पर्सनेलिटी का टेस्ट करना जिससे कि पता चलता है कि आप उस काम की योग्य है या नहीं। आसान भाषा में समझा जाए तो "जैसा आपका व्यक्तित्व वैसा आपका जीवन"
           तो दोस्तो आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते है कि आज का विषय आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है और इसलिए आज हम जानेंगे कि अपने व्यक्तित्व को बेहतर बनाकर अपने एक अच्छे भविष्य का निर्माण किया जा सकता है। तो सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि हमारे व्यक्तित्व का निर्माण कैसे होता है यानी कि आपके व्यक्तित्व के निर्धारक तत्व कौन कौन से हैं क्योंकि अगर आप के निर्धारक ही अच्छे हैं तो इसमें कोई भी दो राय नहीं है कि आपका व्यक्तित्व भी अच्छा होगा। तो सबसे जरूरी हो जाता है कि हम पहले अपने निर्धारकों पर काम करें, लेकिन पहले यह जानना भी आवश्यक है कि हमारे व्यक्तित्व के निर्धारक कौन-कौन से होते हैं। तो दोस्तों आप अपने आसपास बहुत सारे लोगों के साथ रहते है जिनमें से कुछ आपके दोस्त होंगे कुछ सगे संबंधी रिश्तेदार होंगे आपका परिवार होगा जो आपको मिला है जिसे आपने चुना नहीं है। और यही आपके व्यक्तित्व के निर्धारक भी होते हैं तो आइए इन्हे आसान भाषा में बारीकी से समझते है।



1. दोस्त  : तो संगत के बारे में आपने सुना होगा कि संगत का असर होता है जैसे लोगों के साथ रहोगे वैसे बन जाओगे ऐसा आपने सुना होगा। लेकिन वास्तव में भी संगत का असर पड़ता है। उदाहरण:- क्या आप लोगों ने कभी सोचा है कि जिन व्यक्तियों के साथ आप उठते बैठते हो मिलते हो वो किन विचारों के हैं, उनके पास कितनी उर्जा है, वह नकारात्मक है, सकारात्मक है, उनके साथ रहने से आपके ऊपर क्या प्रभाव हो रहा है कभी सोचा है आपने?  आमतौर पर हम इन चीजों पर ध्यान नहीं देते और इन्हे साधारण ही समझ कर किसी की भी संगत में पड़ जाते हैं जिसके कारण से हमारे व्यक्तित्व में काफी त्रुटियां आ जाती है और हम एक अच्छी Personality के मालिक नहीं बन पाते है। तो दोस्त बनाइए तो अच्छे बनाई है वरना मत बनाइए सीधा रिजेक्ट कर दीजिए यह मत सोचो कि वह बुरा मान जाएगा क्योंकि यह आपकी जिंदगी का सवाल है, आप ऐसे बन जाओगे जैसे लोग साथ आप रहोगे। आप इस समय जैसा जीवन जी रहे हैं इसलिए जी रहे क्योंकि आप की संगत वैसी रही है। कभी आप अपने आसपास खंगाल कर देखिएगा आपको पता चलेगा कितना कूड़ा करकट आपने जमा करके रखा है ऐसे लोगों को साथ रहे जो आप के समय कीमत को  समझे अन्यथा अपने जीवन में अकेले रहे जो कि सबसे अच्छा है लेकिन ऐसे लोगों के साथ रहकर कुछ नहीं मिलेगा बल्कि आपका पतन होता चला जाएगा। तो ऐसे लोगों के साथ रहिए जो ऊर्जावान हो, सकारात्मक हो,  और जिन्हें अपना दोस्त कहते हुए आपको गर्व महसूस हो और खुद भी ऊर्जावान बनिए ताकि सामने वाला व्यक्ति आपसे मिलने के बाद खुश हो जाए। 



2. परिवार:-  यदि घर परिवार मैं माता-पिता नकारात्मक विचारों के मिल जाते हैं जो कि जल्दी निराश हो हो जाते हो, तनावग्रस्त हो जाते हो। तो आप उनकी आशा बन सकते हैं आप उन्हें छोड़ नहीं सकते. आपको आजीवन उन्हें साथ लेकर चलना है क्योंकि वह आपको मिले है आपने उन्हें चुना नहीं है, उन्हें प्रकृति ने आपको दिया है। तो ऐसे में यदि आपको अपने व्यक्तित्व को संवारना है तो आपको उनके व्यक्तित्व से बच कर रहना होगा। जैसे कई माता-पिता चिड़चिड़े स्वभाव के होते हैं. तो वो चिड़ाचिड़ापन कभी आपके ऊपर भी ना आ जाए इस बात का आप को ध्यान रखना है और ऐसे लोगों से बहुत कम मतलब रखे। जब भी आपको लगे कोई व्यक्ति अपनी नकारात्मकता बाहर निकाल रहा है तो वहां से दूर हो जाए। 



3 समाज :- हमारे समाज यानि कि जहां हम रहते हैंये हमारे Personality के का सबसे मुख्य निर्धारक होता है। पर यही पर कई ऐसे लोग होते हैं जो नहीं चाहते आप आगे बढ़े, हमेशा आपको पीछे की ओर खींचते हैं, दूसरों की बुराई करते है, आपके लक्ष्य से आपका ध्यान भटका देने के काम में लगे रहते हैं। तो ऐसे लोगों से आप दूर हो जाए, उनसे बिल्कुल भी मतलब मत रखिए। उदाहरण के लिए यदि आप पढ़ रहे हो और कोई आपको कहे की चलो घूम के आते हैं। तो ऐसे व्यक्ति को आप अपने जीवन से निकाल दीजिए और जो लोग आप के समय की कीमत ना समझे आपके जीवन को तहस - नहस करने पर उतारू हो, आपके साथ खेल रहा हो तो ऐसे लोगो को अपने जीवन से बिल्कुल ही निकाल दीजिए क्योंकि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चाहते नहीं कि आप खुश रहें और इस कारण से आपका व्यक्तित्व भी खराब होता है। 
 

      तो आपको अपने जीवन में दो काम करना है पहला काम आपको अपने जीवन में बहुत ही सिलेक्टिव लोगों को रखना है वरना बिल्कुल अकेले रहिए जो कि सबसे अच्छा है। मैं यह नहीं कह रहा कि आप बिल्कुल ही असामाजिक हो जाइए लेकिन आप इस गंदगी को कब तक लेकर ढोएंगे, यह गंदगी धीरे-धीरे आपके दिमाग को कूड़ेदान बना देगी और फिर कुछ दिनों बाद आपके दिमाग से बदबू आने लगी और ऐसे लोग आपके दिमाग को कूड़ेदान बना कर चले जाएंगे आप तनाव में आ जाएंगे, डिप्रेशन में आ जाएंगे तो ऐसे लोगों से आपको बचना है।
ये अब आपको सीखना होगा क्योंकि 90% आपके दिमाग के साथ जो खेला जा रहा है वह बाहरी व्यक्ति द्वारा ही खेला जा रहा है कोई भी बाहरी व्यक्ति आता और आपके दिमाग के साथ खेल कर चला जाता है, लेकिन अब आपको सीखना है कि आपके दिमाग के साथ ऐसे ही कोई नहीं खेल सकता हैं। कोई भी आपको कुछ बातें बोल देता है तो आप उसी की बात को लेकर सोचते रहते हो आपके दिमाग में वही बात चलती रहती है तो ऐसे लोगों से बचिये , और आप जब किसी से बात करें तो अच्छा बोले कोई भी ऐसी बात बोलने से बचे जिसका कोई मतलब ना हो , किसी भी दूसरे की कोई ईर्ष्या ना सुने क्योंकि इससे आपका कोई भला होने वाला नहीं है कोई दूसरा बुरा है तो है पर इससे आपका क्या लाभ है इस बात को समझे।लेकिन नहीं हमें तो यही बातें सुनने में मजा आता है तो अपनी इन आदतों को सुधारें और जितना हो सकता है अच्छा बोले अच्छा सुने और अच्छा देखें भी। मैं यह नहीं कह रहा कि यदि कहीं कुछ बुरा हो रहा हो तो उसे मत रोकिए। बस आप अपने दिमाग को संतुलित रखें , आपके बस तीन ही सिद्धांत होने चाहिए कि मुझे अच्छा सुनना है, अच्छा बोलना है, और अच्छा देखना है फिर देखिए धीरे - धीरे आपके व्यक्तित्व में आपकी पर्सनैलिटी में एक अलग ही बदलाव आपको देखने को मिलेगा क्योंकि जैसा आप इनपुट देंगे वैसे ही आपको आउटपुट भी मिलेगा।
     तो ये थे हमारे व्यक्तित्व के कुछ निर्धारक जिन्हें हमें समझना चाहिए और इनसे सम्बंधित जो सावधानियां बताई गई है उनका अनुसरण अपने जीवन में करना चाहिए ताकि आपके व्यक्तित्व का विकास हो सके।

   जय हिंद.

             

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