आलस्य का त्याग कैसे करें (How to give up laziness)

आलस क्या होता है?




जय हिंद दोस्तों

         जैसा कि Title को देखकर आप समझ ही गए होंगे कि आज हम किस विषय के बारे में बात करने वाले हैं और यही विषय आपकी अधिकतर समस्याओं का समाधान भी है।
जैसाकि आपने कई बार सुना होगा कि है हमारा सबसे बड़ा दुश्मन हम खुद ही हैं और यह बात काफी हद तक सच भी है, क्योंकि हम अपने ही कार्यों के बीच में आकर खड़े हो जाते हैं और यह बहाने करने लगता है कि आज मुझे नहीं पढ़ना, आज यह काम नहीं करना, मुझे आलस आ रहा है।  यदि आपको भी ऐसा होता है और आप भी चाहते कि आप इस समस्या से छुटकारा पाएं तो आपको पहले यह समझना होगा कि आखिर यह हमारे साथ होता क्यों है?
                            तो आपको समझाने के लिए मैं आपको  एक आध्यात्मिक बात बताता हूं। हमारा शरीर दो भागों में बटा हुआ है। एक हिस्सा है शरीर जोकि बनता बिगड़ता रहता है , कभी आप कमजोर हो जाते हैं, कभी हष्ट - पुष्ट हो जाते हैं जो आपको दिखता है।
दूसरी होती है आपकी चेतना जो कि आपके शरीर के अंदर का ही विषय होता है जो आपको यह बताती है कि क्या सही है और क्या गलत।
चेतना और शरीर के मध्य हमेशा एक द्वंद चलता रहता है। शरीर को सिर्फ तीन चीजें चाहिए :- भोजन, नींद, और कामवासना। इन तीन चीजों के अलावा शरीर चौथा कोई काम करना ही नहीं चाहता। इसे आपके काम से, ज्ञान से कोई मतलब नहीं है। ज्ञान का काम चेतना करती है जो आपके ज्ञान में वृद्धि करती है, आपकी बुद्धि का संवर्धन करती है, और जब भी आपका शरीर आप पर हावी होता है तो चेतना उसे रोकती है। कभी आपने महसूस किया होगा कि आपको कभी किसी काम को करने के बाद Guilty महसूस होने लगती है! वह क्यों होती है? वह इस चेतना के कारण ही होती है।




                जब भी आप अपने शरीर की इच्छा पूर्ति करते हैं तब आपकी चेतना आपको वो काम करने से रोकती है। और जब आप अपनी चेतना की इच्छापूर्ति करते है तब आपका शरीर आपको रोकता हैं। जैसे:  शाम को जब आप सुबह जल्दी उठने के लिए अलार्म लगाते हैं तो वह चेतना आप से करवाती है, लेकिन जब सुबह उठते हैं तो आपका शरीर आप पर हावी होकर आपको उठने से मना कर देता है, और आप नहीं उठ पाते।  क्योंकि शरीर का काम ही है सोना, खाना और काम वासना। आपका शरीर आपकी चेतना पर हावी हो जाता है और आप फिर से सो जाते हैं। ऐसे ही जब आपको पढ़ना होता है तो आपका शरीर आपको पढ़ने के लिए नहीं कहता बल्कि चेतना आपको बताती है कि आप को पढ़ना है क्योंकि यह चेतना काम है कि आपके ज्ञान और बुद्धि का संवर्धन करें , और आपको अच्छी चीजों की तरफ ले जाए। इन्हीं बातों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारा शरीर ही हमारा कितना बड़ा दुश्मन है। इसे बस खाना देदो, सोना देदो, कामवासना देदो। इसे बस तृप्ति चाहिए जो कि कभी खत्म नहीं हो सकती इन तीनों चीजों पर ही यह पागल रहता है इसका ज्ञान से, बुद्धि से कोई लेना देना नहीं है। 



दूसरा विषय है चेतना। जिसे मैं आपको एक उदाहरण देकर आसान भाषा में समझाता हूं। एक आप हैं और एक है आपका पड़ोसी जो कि आपका शरीर है। पड़ोसी क्या करते हैं जब उसे कोई जरूरत होती है तब आकर दरवाजा खटखटाता है और आप उस दरवाजे खोल देते हैं और वह आपका समय खराब कर चला जाता है। आप चाहो तो दरवाजा नहीं खोल सकते लेकिन आप फिर भी दरवाजा खोलते है ऐसे ही आपका शरीर भी है, जब आप कोई काम करते हैं तो आपको शरीर आकर खटखटाने लगता और कहता कि भूख लगी है खाना खा लेते हैं या थक गए हैं थोड़ा आराम कर लेते हैं और आप भी के देते हो कि चलो ठीक है खा लेते हैं लेकिन आप यह बात भूल जाते हैं कि शरीर को आनंद चाहिए और इस के कई रास्ते हो सकते हैं वो आपको यूट्यूब की दुनिया में ले जा सकता है क्योंकि उसे वहां से आनंद की अनुभूति होती है फिर उसे कामवासना चाहिए फिर सोना चाहिए और इन सब चीजों में वह आपका समय खराब करता रहता है। तो इन समस्याओं से बचने के लिए आप एक ही काम कर सकते हो और वो है दरवाजा नहीं खोल कर और कल पर टाल कर। जब भी काम के बीच में आपका शरीर आए तभी उसे कह दीजिए कि आज नहीं कल कर लेंगे। क्योंकि यह बात आप भी जानते है कि जो काम कल पर टाल दिया जाता है तो वो हम मुश्किल ही कर पाते है। अब ऐसा नहीं है कि वो कल नहीं आएगा। वो कल भी जरूर आएगा क्योंकि वह आपका पड़ोसी है और पड़ोसी का काम है आपको बार-बार Disturb करना।
              एक और बात आपका शरीर भी आपको तब ही परेशान करता है जब आपके अंदर गलत आदतें होती है और गलत आदतें तब ही पनपती है जब आपके पास कोई काम नहीं होता, आप खाली होते है। आप अपने दोस्त के लिए भी दरवाजा तभी खोलते है जब आप खाली होते हैं , निराश होते हैं यदि आप व्यस्त हैं तो आपको कितना भी करीबी मित्र आ जाए तो आप उसे मना कर देते हैं क्योंकि आप उस समय काफी व्यस्त होते हैं या तो आप कोई ऐसा काम कर रहे होते है जो काफी जरूरी होता है। तो इसीलिए अपने आपको व्यस्त रखे , अपने काम  में   लगकर या अपनी पढ़ाई में लगकर मेहनत करे। क्योंकि हमारे पास ज्यादा समय नहीं है मात्र 60 साल की जिंदगी लेकर आए हैं हम, और 60 साल भी ज्यादा है क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि आपका जीवन 60 साल तक ही चलेगा, क्योंकि कई बार व्यक्ति की आकस्मिक मृत्यु भी हो जाती है तो हमारे पास ज्यादा समय नहीं है, काम बहुत सारा है आप कभी बैठकर सोचोगे तो आपको इतना सारा काम दिखेगा जिसके लिए 60 साल भी कम पड़ जाए तो अभी से ही उन कामों पर लग जाइए, और यही काम आपके लक्ष्य तक आपको पहुंचाएंगे। लेकिन आप में से कई लोगों को पढ़ने में ही मन नहीं लगता बस एक सपना है कि ये बनना है, वो बनना है, लेकिन पढ़ने में मन लगता नहीं , तो फिर आपका काम कैसे हो पाएगा। क्या सोने में मन लग  है, खाने मन लग रहा है, क्या काम वासना में मन लग रहा है, क्या मन को तृप्त करने में ही आप अभी तक व्यस्त है। यदि ऐसा है तो इस बात को समझ लीजिए कि ये शरीर आपका पीछा नहीं छोड़ने वाला यह आपको खत्म करके रख देगा, समूल विनाश करके वह चला जाएगा। वह आपको आपके जीवन के अंतिम लक्ष्य तक नहीं पहुंचने देगा और जीवन का अंतिम लक्ष्य है कि दुनिया आपको आपके नाम से जाने और यह तभी हो सकता है जब दुनिया के लिए आप कुछ करके जाएं ।
   अब शायद आप मेरी बात को समझ गए होंगे कि आप क्यों फंसे हुए है, क्यों आप रोज बोलते हैं कि सुबह जल्दी उठना है और नहीं उठ पाते। क्योंकि आपके शरीर को बस तीन चीजे ही तो चाहिए और वह उन्हीं की पूर्ति के लिए बहाना ढूंढता रहता है। और जो यह बात समझ जाता है वो महान बन जाता है और जो जल्दी से नहीं समझ पाता वह बस एक साधारण व्यक्ति बनकर रह जाता है। और पैदा होता है, कामवासना पूरी करने के लिए विवाह किया, खूब जनसंख्या बढ़ाई और मर जाते हैं। 2 दिन बाद सब भूल जाते हैं किसी को कोई मतलब नहीं होता। क्योंकि वह कोई वजह ही नहीं छोड़ता जिससे उन्हें याद रखा जाए, लेकिन आज आपके पास मौका है आप चाहे तो आप दुनिया को एक वजह दे सकते हो ताकि आपको दुनिया याद रखें। नहीं तो जीवन में कुछ भी नहीं है , कल के दिन आपके पास कुछ ना भी हुआ तो भी आपका जीवन कट जाएगा और कई लोग ऐसे जी भी रहे हैं। आज आप जितने भी बड़े लोगों को देखेंगे जिनका बहुत नाम है, रुतबा है, तो आप उनके इतिहास में पाएंगे की उन्होंने बहुत ही कम उम्र में अपने आप को संयमित कर लिया। जैसे कि आप हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को ही देख लीजिए. उन्होंने काफी कम उम्र से ही अपने आप को संयमित कर लिया और आज उन्हें पूरी दुनिया जानती है। ऐसे ही बहुत सारे हमारे सामने उदाहरण है। जैसे विराट कोहली कोहली, सचिन तेंदुलकर, मुकेश अंबानी इत्यादि



     अगर आपको भी अपना नाम बनाना है तो आज से ही अपने आप को संयमित करें और शरीर की भूख को खत्म करना छोड़ दें। क्योंकि यह भूख कभी खत्म नहीं होगी। यदि शरीर को खुश करने चल पड़े तो जिंदगी में शरीर को कभी भी खुश नहीं कर पाओगे। यह तुम्हें बर्बाद कर देगा, आपको कुछ नहीं मिलने वाला। अगर कुछ बनना है तो मेरी बात को समझिए और आज से प्रण कर लीजिए कि आज से इस शरीर की भूख को नहीं मिटाना। जब भी शरीर आपके पास आए तो उसे मना कर दो यह कह दो कि कल बात करेंगे अभी बहुत व्यस्त हूं। और आपको व्यस्त कैसे रहना है मैं आपको बता ही चुका हूं। और ऐसा भी नहीं है कि आज आपने मना कर दिया तो कल आपका शरीर आपको भटकाने नहीं आएगा! वो आएगा और आपको परेशान भी करेगा , सुबह उठने से मना भी करेगा लेकिन फिर भी आपको उठना होगा। उदाहरण के लिए सचिन तेंदुलकर 3:00 बजे उठते थे , क्या उनका मन नहीं होता होगा कि कल उठेंगे आज रहने दो। लेकिन उनकी चेतना इतनी मजबूत थी कि वो उनके शरीर को  उनपर हावी नहीं होने देती थी। ऐसे ही आपको भी अपनी चेतना को मजबूत करना होगा। आप में से कई लोग छात्र होंगे, तो आपको रोज पढ़ना है पढ़ने का मतलब है आपको रियाज करना पड़ेगा "जो जितना रियाज करेगा वो उतना राज करेगा"। यदि आपको भी राज करना है तो रियाज करना पड़ेगा और यह ध्यान रखिएगा।
    तो अंत में यही कहना चाहूंगा कि आप इस बात को समझिए और इस पर अमल करना शुरू कर दीजिए । आज के लिए बस इतना ही अगर आपको अच्छा लगा हो तो अपने मित्रो , परिवार के सदस्यों से इसे साझा करे ताकि उन्हें भी इसका लाभ मिल पाए। और यदि इसमें मुझसे कोई गलती हुई है तो कृप्या मुझे अवश्य बताए ताकि मैं उसमे सुधार कर सकूं।
जय हिंद 

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